3मजेदार प्रेरणादायक कहानियाँ इन हिंदी |3 Amazing Inspirational Story In Hindi With Moral.

  आपस की फूट जगत की लूट


सन सोलह सौ बारह की बात है,,,इस्ट इंडिया कंपनी का एक अंग्रेज कर्मचारी जेठ की भरी दुपहरी में कलकत्ता के बाजार का चक्कर लगा रहा था,,,उसने देखा मिट्टी का एक खास बर्तन बहुत से लोग खरीद रहे हैं,,,जिज्ञासावश वह भी दुकान पर पहुंचा,,,दुकानदार से उसने पूछा, इस बर्तन का क्या नाम है,,,और इसे इतने लोग क्यों खरीद रहे हैं???

बूढ़ा दुकानदार ने कहा- साहेब इसे घड़ा कहते हैं,,,इसमें पानी रखेंगे तो ठंडा रहेगा।

अंग्रेज कर्मचारी एक घड़ा खरीदकर आगे बढ़ा, कुछ फर्लांग दूर एक और मिट्टी के बर्तन की दुकान पर भीड़ लगी थी,,,इस दुकान पर एक विशेष प्रकार का घड़ानुमा बर्तन मिल रहा था जिसकी लंबी गर्दन और छोटा मुंह था,,,चकित अंग्रेज दुकानदार से पूछा, भाई इस बर्तन को क्या कहते हैं,,,और इसका क्या उपयोग है???

व्यस्क दुकानदार ने कहा- साहेब इसे सुराही कहते हैं,,ये जो आपके हाथ में घड़ा है न, उससे सुराही में पानी अधिक ठंडा रहता है।
आपने मेरे पिताजी की दुकान से घड़ा ले लिया है जबकि उसी कीमत पर मैं आपको ये सुराही दे देता,,,मेरे पिताजी की आदत बहुत खराब है,,,वे ग्राहक को पहले ही फांस लेते हैं,,,क्योंकि मैं उनसे बेहतर घड़ा उनसे कम कीमत पर बेचता हूं।

अंग्रेज एक सुराही खरीदकर मुस्कुराता हुआ आगे बढ़ चला, कुछ दूर चला ही था कि एक और दुकान पर भीड़ दिखी, यहां भी मिट्टी का बर्तन बिक रहा था,,,यहां वाले बर्तन बड़े सुंदर थे, अंग्रेज ने एक बर्तन उठाया,जो आकार में घड़ा और सुराही से थोड़ा छोटा था,,,लेकिन उसके गर्दन के पास पतली सी टोंटी लगी थी,,,दुकानदार नौजवान था,,,अंग्रेज ने उस बर्तन की विशेषता पूछी,,तो नौजवान दुकानदार बताने लगा,,,साहेब ये तुंबा है, आपने मेरे पिताजी और भैया से जो घड़ा, सुराही खरीदा है, उससे पानी ढालने में अधिक बर्बाद होता है,,,जबकि मेरे टोंटी लगे तुंबा से पानी बर्बाद नहीं होता,,,मेरे पिता और भाई जरा ईर्ष्यालु हैं,,,वे ग्राहक को पहले ही फांस लेते हैं और मेरी विशेषता को नहीं बताते।

अंग्रेज कर्मचारी एक तुंबा खरीद लिया और फिर मुस्कुराने लगा,,,इस बार की मुस्कुराहट थोड़ी कुटिलता लिए थी।

सुबह तीनों बर्तन लेकर अपने कैप्टन के आफिस में पहुंचा।
कैप्टन ने पूछा,,,यह क्या ले आए हो??
कर्मचारी कहने लगा,,,सर ये पानी को ठंडा रखनेवाले बर्तन हैं,,,,लेकिन इससे भी बड़ी बात जो मैं आपको बतानेवाला हूं, उससे हमारी ब्रिटिश गवर्नमेंट को जबरदस्त फायदा हो सकता है।
कैप्टन की उत्सुकता बढ़ने लगी,,,,उसने अधीरता से पूछा ऐसा क्या खास है???

कर्मचारी बोला, "सर,,भारत में अकूत संपत्ति तो है ही,,भारतीय उससे कहीं अधिक हुनरमंद हैं,,,और फिर सारा वृतांत कह सुनाया,,,लेकिन सर,,जो सबसे बड़ी बात मैं बताना चाह रहा हूं, वह है भारतीयों में *अहं और ईर्ष्या* का अत्यधिक होना।

ये तीन प्रकार के बर्तन एक ही परिवार के सदस्यों ने बनाया है, लेकिन तीनों को अपने हुनर का अत्यधिक घमंड है और एक दूसरे से उतनी ही ईर्ष्या भी।

आप एक की तारीफ़ करके दूसरे को तोड़ सकते हैं।
जरा सोचिए,,,जिस देश की जनता में इतनी फूट है,,,उसके राजे-रजवाड़े, नवाब-सुल्तान में कितना और पड़ोसियों में कितनी स्पर्धा और फूट होगी

किसी एक रियासत को अपने में मिलाकर दूसरे पर आसानी से हम विजय पा सकते हैं!

कैप्टन की आंखों में चमक आ गई, उसने लंदन के लिए चिट्ठी लिखना शुरू कर दिया,,, उसके बाद की कहानी तो आप सब को पता ही है।

 

 ◆🐦चतुर चिड़िया की कहानी   🐦◆


एक दिन की बात है एक चिड़िया आकाश में अपनी उड़ान भर रही होती है। रास्ते में उसे गरुड़ मिल जाता है। गरुड़ उस चिड़िया को खाने को दौड़ता है। चिड़िया उससे अपनी जान की भीख मांगती है। लेकिन गरुड़ उसपर रहम करने को तैयार नहीं होता। तब चिड़िया उसे बताती है कि मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं और उनके लालन पालन के लिए मेरा जीवित रहना जरूरी है। तब गरुड़ इस पर चिड़िया के सामने एक शर्त रखता है कि मेरे साथ दौड़ लगाओ और अगर तुमने मुझे हरा दिया तो मैं तुम्हारी जान बख्श दूंगा और तुम्हें यहां से जाने दूंगा।

गरुड़ इस बात को जानता था कि चिड़िया का उसे दौड़ में हराना असंभव है। इसलिए उसके सामने इतनी कठिन शर्त रख देता है। चिड़िया के पास इस दौड़ के लिए हां करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता। लेकिन चिड़िया को इस बात का अंदाजा था कि गरुड़ को दौड़ में हराना नामुमकिन है लेकिन फिर बी वह इस दौड़ के लिए हां कर देती है। पर वह गरुड़ से कहती है कि जब तक ये दौड़ ख़त्म नहीं होता वह उसे नहीं मरेगा। गरुड़ इस बात पर राजी हो जाता है।

दौड़ शुरू होती है चिड़िया फट से जाकर गरुड़ के सिर पर बैठ जाती है और जैसे ही गरुड़ दौड़ के आखिरी स्थान पर पहुंचता है चिड़िया फट से उड़ कर लाइन के पार पहुंच जाती ही और जीत जाती है। गरुड़ उसकी चतुरता से प्रसन्न हो जाता है और उसको जिंदा छोड़ देता है। चिड़िया तुरंत ही वहां से उड़ जाती है और अपने रास्ते चल देती है।

शिक्षा  
कठिन परिस्थितियों में हालातों पर रोना नहीं चाहिए बल्कि समझदारी और चतुरता के साथ मुसीबत का सामना करना चाहिए।
विरोधी या कार्य आपकी क्षमता से ज्यादा मजबूत हो तो इसका मतलब यह नहीं कि आप पहले से ही हार मान कर बैठ जाएं बल्कि समझदारी और धैर्य से बैठ कर समस्या का समाधान ढूढ़ना चाहिए।
अपने ऊपर विश्वास रखना चाहिए कि हम किसी भी हालत में जीत सकते है।


          

     ★ ◆ पैरों के निशान   ◆★


 जन्म से ठीक पहले एक बालक भगवान से कहता है,” प्रभु आप मुझे नया जन्म मत दीजिये , मुझे पता है पृथ्वी पर बहुत बुरे लोग रहते है…. मैं वहाँ नहीं जाना चाहता …” और ऐसा कह कर वह उदास होकर बैठ जाता है।
भगवान् स्नेह पूर्वक उसके सर पर हाथ फेरते हैं और सृष्टि के नियमानुसार उसे जन्म लेने की महत्ता समझाते हैं , बालक कुछ देर हठ करता है पर भगवान् के बहुत मनाने पर वह नया जन्म लेने को तैयार हो जाता है।

” ठीक है प्रभु, अगर आपकी यही इच्छा है कि मैं मृत लोक में जाऊं तो वही सही , पर जाने से पहले आपको मुझे एक वचन देना होगा। ” , बालक भगवान् से कहता है।

भगवान् : बोलो पुत्र तुम क्या चाहते हो ?

बालक : आप वचन दीजिये कि जब तक मैं पृथ्वी पर हूँ तब तक हर एक क्षण आप भी मेरे साथ होंगे।

भगवान् : अवश्य, ऐसा ही होगा।

बालक : पर पृथ्वी पर तो आप अदृश्य हो जाते हैं , भला मैं कैसे जानूंगा कि आप मेरे साथ हैं कि नहीं ?

भगवान् : जब भी तुम आँखें बंद करोगे तो तुम्हे दो जोड़ी पैरों के चिन्ह दिखाइये देंगे , उन्हें देखकर समझ जाना कि मैं तुम्हारे साथ हूँ।

फिर कुछ ही क्षणो में बालक का जन्म हो जाता है।

जन्म के बाद वह संसारिक बातों में पड़कर भगवान् से हुए वार्तालाप को भूल जाता है| पर मरते समय उसे इस बात की याद आती है तो वह भगवान के वचन की पुष्टि करना चाहता है।

वह आखें बंद कर अपना जीवन याद करने लगता है। वह देखता है कि उसे जन्म के समय से ही दो जोड़ी पैरों के निशान दिख रहे हैं| परंतु जिस समय वह अपने सबसे बुरे वक़्त से गुजर रहा था उस समय केवल एक जोड़ी पैरों के निशान ही दिखाइये दे रहे थे , यह देख वह बहुत दुखी हो जाता है कि भगवान ने अपना वचन नही निभाया और उसे तब अकेला छोड़ दिया जब उनकी सबसे अधिक ज़रुरत थी।

मरने के बाद वह भगवान् के समक्ष पहुंचा और रूठते हुए बोला , ” प्रभु ! आपने तो कहा था कि आप हर समय मेरे साथ रहेंगे , पर मुसीबत के समय मुझे दो की जगह एक जोड़ी ही पैर दिखाई दिए, बताइये आपने उस समय मेरा साथ क्यों छोड़ दिया ?”

भगवान् मुस्कुराये और बोले , ” पुत्र ! जब तुम घोर विपत्ति से गुजर रहे थे तब मेरा ह्रदय द्रवित हो उठा और मैंने तुम्हे अपनी गोद में उठा लिया , इसलिए उस समय तुम्हे सिर्फ मेरे पैरों के चिन्ह दिखायी पड़ रहे थे।


शिक्षा:-

बहुत बार हमारे जीवन में बुरा वक़्त आता है , कई बार लगता है कि हमारे साथ बहुत बुरा होने वाला है , पर जब बाद में हम पीछे मुड़ कर देखते हैं तो पाते हैं कि हमने जितना सोचा था उतना बुरा नहीं हुआ ,क्योंकि शायद यही वो समय होता है जब ईश्वर हम पर सबसे ज्यादा कृपा करता है। अनजाने में हम सोचते हैं को वो हमारा साथ नहीं दे रहा पर हकीकत में वो हमें अपनी गोद में उठाये होता हैं।




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