PESA ACT Ka Full Form :-
पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम 1996 : PESA Act
Panchayats (Extension to Scheduled Areas) Act, 1996 or PESA
‘पेसा एक्ट’ 1996 (PESA ACT) क्या है ?
संसद ने दिसंबर 1996 में पंचायत उपबंध( अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम 1996 को पारित किया जिसे पेसा कानून के नाम से जाना जाता है, यह कानून अनुसूचित जनजातियों के विकास से संबंधित है I आसान भाषा मे कहे तो पेसा एक्ट यानि पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 भारत के अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए पारंपरिक ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार द्वारा अधिनियमित एक कानून है। दरअसल अनुसूचित क्षेत्र भारत के संविधान की पांचवीं अनुसूची द्वारा पहचाने गए क्षेत्र हैं। यह अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को विशेष रूप से प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए विशेष अधिकार देता है। पंचायतों से संबंधित संविधान के भाग 9 के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तारित करने के लिए एक अधिनियम है।
मध्यप्रदेश में पेसा एक्ट(PESA ACT In MP)
मित्रों, अब आप यह जरूर जानना चाहते होंगे कि मध्य प्रदेश से पूर्व पेसा एक्ट देश के किन छह राज्यों में लागू था? तो आपको जानकारी दे दें कि पेसा एक्ट पहले से भारत के नौ राज्यों हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh), आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh), तेलंगाना (Telangana), राजस्थान (Rajasthan), गुजरात (Gujarat), महाराष्ट्र (Maharashtra), छत्तीसगढ़ (chattisgarh), झारखंड (jharkhand)और ओडिशा(Odisha) आदि में लागू था।
अनुसूचित क्षेत्र में पड़ने वाली ग्राम सभाओं के सशक्तिकरण के मद्देनजर इसे मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भी लागू किए जाने को एक अच्छा कदम माना जा रहा है।व्यक्ति ने अनधिकृत कब्जा कर रखा है तो ग्रामसभा को उसे हटाकर मूल व्यक्ति को दिलवाने का अधिकार दिया गया है। ग्रामसभा की सहमति के बिना अनुसूचित क्षेत्रों में नई शराब की दुकान नहीं खुलेगी।भूमि अधिग्रहण के पहले भी सहमति लेनी होगी।
पेसा एक्ट (PESA ACT) की 5 प्रमुख बाते
- जमीन आपकी
- जल आपका
- जंगल आपका
- श्रमिकों के अधिकारों का विशेष ध्यान
- स्थानीय संस्थाओं, परम्पराओ और संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन
1. जमीन का अधिकार
गांव की जमीन के और वन क्षेत्र के नक्शा, खसरा, बी-1 आदि ग्राम सभा को पटवारी और बीट गार्ड हर साल उपलब्ध कराएंगे। वहीं इसका लाभ कुछ इस तरह मिलेगा कि गांव का रिकार्ड लेने ग्रामीणों को बार-बार तहसीलों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।यदि राजस्व अभिलेखों में कोई गलती पाई जाती है तो ग्राम सभा को उसमें सुधार के लिए अपनी अनुशंसा भेजने का पूरा अधिकार होगा। अधिसूचित क्षेत्रों में बिना ग्राम सभा की सहमति के किसी भी प्रोजेक्ट के लिए गांव की जमीन का भू-अर्जन नहीं किया जाएगा।गैर जनजातीय व्यक्ति या कोई भी अन्य व्यक्ति छल-कपट से, बहला-फुसलाकर, विवाह करके जनजातीय भाई-बहनों की जमीन पर गलत तरीके से कब्जा करने या खरीदने की कोशिश करे तो ग्राम सभा इसमें हस्तक्षेप कर सकेगी।
यदि ग्राम सभा को ये बात पता चलती है तो वह उस भूमि का कब्जा फिर से जनजातीय भाई-बहनों को दिलवाएगी। अगर ग्राम सभा को ऐसा करने में कोई कठिनाई होती है तो वो भूमि का कब्जा वापस दिलाने के लिए मामले को उपखण्ड अधिकारी को भेज सकेगी।
अधिसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा की अनुशंसा के बिना खनिज के सर्वे, पट्टा देने या नीलामी की कार्यवाही नहीं की जा सकेगी।खनिज पट्टो की स्वीकृति में अनुसूचित जनजाति की सहकारी सोसायटियों, महिला आवेदकों और पुरूष आवेदकों को अपनी-अपनी श्रेणियों में प्राथमिकता दी जाएगी।
2. जल का अधिकार
गांव के तालाबों का प्रबंधन अब ग्राम सभा करेगी। ग्राम सभा तालाब / जलाशय में मछली पालन और सिंघाड़ा उत्पादन आदि गतिविधियाँ कर सकती है। इससे होने वाली आमदनी ग्राम सभा के पास जाएगी।
तालाब / जलाशय में किसी भी प्रकार की गंदगी, कचरा, सीवेज आदि जमा न हो, प्रदूषित न हो, इसके लिए ग्राम सभा किसी भी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के लिए कार्यवाही कर सकेगी।100 एकड़ तक की सिंचाई क्षमता के तालाब और जलाशय का प्रबंधन संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा किया जाएगा।
3. जंगल का अधिकार
ग्राम सभा अपने क्षेत्र में स्वयं या एक समिति गठित करके गौण वनोपजों जैसे अचार गुठली, करंज बीज, महुआ, लाख, गोंद, हर्रा, बहेरा, आंवला आदि का संग्रहण, विपणन, मूल्य निर्धारण और विक्रय कर सकेंगे।
यदि एक से अधिक ग्राम सभा चाहे तो वे ये काम मिलकर भी कर सकती है। अभी तक या तो सरकार या फिर व्यापारी लघु वनोपजों का मूल्य तय किया करते है लेकिन अब रेट कन्ट्रोल की कमाण्ड ग्राम सभा के माध्यम से हमारे जनजातीय भाई- बहनों के हाथ में आ जाएगी।
ग्राम सभा या उनकी समिति अब ये तय कर सकेगी कि एक निश्चित दर से कम रेट पर वे अपनी वनोपज नहीं बेचेंगे। यदि ग्राम सभा चाहेगी और कहेगी कि वनोपज का संग्रहण और विपणन वनोपज संघ करे, तभी वनोपज संघ ये कार्यवाही कर सकेगा।
वनोपज के दामों को तय करने का अधिकार अब ग्राम सभा के हाथ में चला जाएगा और गरीब आदिवासी भाई-बहनों की वनोपज औने- पौने दामों में नही बिकेगी। ग्राम सभा चाहे तो तेंदू पत्ते का संग्रहण और विपणन खुद कर सकेगी।
4. श्रमिकों के अधिकारों के संरक्षण
ग्राम में हर पात्र मजदूर को मांग आधारित रोज़गार मिले, इसके लिए ग्राम सभा साल भर की कार्ययोजना बनाएगी और पंचायत इसका अनुमोदन करेगी।
मनरेगा जैसी रोज़गारमूलक योजनाओं के अंतर्गत गाँव में कौन-कौन से कार्य लिए जाएंगे ये ग्राम सभा ही तय करेगी। यदि मनरेगा के कार्यों के लिए बनाए गए मस्टर रोल में कोई फर्जी नाम है या फिर कोई गलती है तो ग्राम सभा इस गलती को ठीक करवाएगी।
गांव से लोगों का अनावश्यक पलायन न हो, भोले-भाले जनजातीय भाई-बहनों को काम के नाम पर एजेण्टों के माध्यम से अन्य शहरों में ले जाकर मानव व्यापार, शोषण या बंधुआ मजदूरी का श्राप न झेलना पड़े इसके लिए पेसा नियमों में महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए है।
अब बिना ग्राम सभा को सूचित किए न तो कोई व्यक्ति काम करने के लिए गाँव से बाहर जा सकेगा और न ही ग्राम सभा की बिना जानकारी के बाहरी व्यक्ति काम के लिए आ सकेगा। ग्राम सभा के पास काम के लिए बाहर जाने वाले सभी लोगों की सूची रहेगी।
काम के लिए अपने गाँव से ग्राम सभा को बिना बताए जाने को नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और उल्लंघन करने वाले के विरूद्ध कार्यवही की जा सकेगी। गांव के जो लोग मनरेगा आदि में मजदूरी कर रहे है, उनके काम के बदले उन्हें पूरी मजदूरी मिले, इसकी चिंता भी ग्राम सभा करेगी।
ग्राम सभा ये ठहराव प्रस्ताव कर 7/9 सकेगी कि सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से कम में किसी से काम न लिया जाए। यदि कोई साहूकार किसी का जनजातीय भाई-बहन का शोषण करता है, निर्धारित से अधिक ब्याज लेती हैं, तो ऐसी स्थिति में उसकी शिकायत ग्राम सभा अपनी अनुशंसा के साथ उपखण्ड अधिकारी को भेज सकती है।
यदि किसी हितग्राहीमूलक योजना में गाँव के 100 हितग्राही पात्र है तो उनमें से मापदण्ड अनुसार मेरिट का क्रम ग्राम सभा निर्धारित कर सकती है ताकि पात्र हितग्राहियों में से उसे सबसे पहले लाभ मिले, जिसे इसकी सबसे ज्यादा और शीघ्र आवश्यकता है।
5. स्थानीय संस्थाओं, परंपराओं और संस्कृति का संरक्षण
अब अधिसूचित क्षेत्रों में कोई भी नई शराब / भांग की दुकान ग्राम सभा की अनुमति के बिना नहीं खुलेगी। यदि 45 दिन में ग्राम सभा कोई निर्णय नहीं करती है, यह स्वयमेव मान लिया जाएगा कि नई दुकान खोलने के लिए ग्राम सभा सहमत नहीं है और फिर दुकान नहीं खोली जाएगी।
यदि कोई शराब या भांग की दुकान गाँव के अस्पताल, स्कूल, धार्मिक स्थल आदि के आस-पास हो तो उसे अन्यत्र शिफ्ट करने की अनुशंसा ग्राम सभा सरकार को भेज सकेगी। ग्राम सभा किसी स्थानीय त्यौहार के अवसर पर उस दिन पूरे दिन के लिए या कुछ समय के लिए शराब दुकान बंद करने की अनुशंसा कलेक्टर से कर सकती है।
एक वर्ष में कलेक्टर 4 ड्राय डे के अंतर्गत दुकान को उस क्षेत्र के लिए बंद कर सकेंगे।
नशे की लत को हतोत्साहित करने के लिए ग्राम सभा न केवल किसी सार्वजनिक स्थान पर शराब का उपयोग प्रतिबंधित कर सकती है, बल्कि व्यक्तिगत रूप से उपयोग किए जाने वाले मादक द्रव्यों की सीमा भी कम कर सकती है।
गांव में अवैध शराब के विक्रय को रोकने का काम भी ग्राम सभा द्वारा किया जाएगा। हर गांव में एक शांति एवं विवाद निवारण समिति होगी।
यह समिति परंपरागत पद्धति से गाँव के छोटे-मोटे विवादों का निराकरण कराएगी और ग्राम में शांति व्यवस्था बनाए रखने में मदद करेगी। इस समिति में कम से कम एक तिहाई सदस्य महिलाएं होंगी।
नियमों में ये भी प्रावधान किया गया है कि यदि ग्राम के किसी व्यक्ति के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज हो तो इसकी सूचना पुलिस थाने द्वारा तत्काल गाँव की शांति एवं विवाद निवारण समिति को दी जाएगी।
अधिसूचित क्षेत्रों में ग्राम पंचायते बाजारों और मेलों का प्रबंधन करने में सक्षम होगी। ग्राम सभा द्वारा इस बात की भी चिंता की जाएगी कि गाँव के स्कूल ठीक चले,
स्वास्थ्य केन्द्र ठीक चले, आंगनवाड़ियां ठीक चले। नियमों में ग्राम सभाओं को निम्न संस्थाओं का निरीक्षण एवं मॉनीटरिंग करने की शक्ति दी गई है।
स्कूल, स्वास्थ्य केन्द्र, आंगनवाड़ी, आश्रम शालाएं, छात्रावास, जल, जंगल, जमीन, श्रमिक, परंपराएं एवं संस्कृति ये पेसा नियमों का पंचामृत हैं। आज यानी मंगलवार से ये नियम पूरे मध्यप्रदेश में लागू हो रहे हैं।
पेसा एक्ट क्यों और कब से लागू ?
भारतीय संविधान के पांचवीं अनुसूची में शामिल क्षेत्र, जिन्हें अनुसूचित क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। संविधान के भाग IX में प्रदान किए गए भारतीय संविधान के 73वें संवैधानिक संशोधन या पंचायती राज अधिनियम द्वारा कवर नहीं किए गए थे। पेसा एक्ट को 24 दिसंबर 1996 को कुछ अपवादों और संशोधनों के साथ संविधान के भाग 9 के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तारित करने के लिए इसे अधिनियमित किया गया था।
पैसा एक्ट के नियम
पेसा अनुसूचित क्षेत्रों में लागू है। अनुसूचित क्षेत्र संविधान की पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों द्वारा शासित होते हैं। पांचवीं अनुसूची दस अनुसूचित क्षेत्र के राज्यों के राज्यपालों को बहुत महत्वपूर्ण कार्य देती है। जबकि, संवैधानिक रूप से, शासन के अधिकांश मामलों में राज्यपालों को मंत्रिपरिषद द्वारा सहायता और सलाह दी जाती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि पेसा एक्ट को लागू किया जाएगा, पेसा एक्ट के नियमों के रूप में कार्यात्मक दिशा-निर्देश नितांत आवश्यक हैं। पेसा एक्ट की घोषणा के 15 साल बाद, 2011 में आंध्र प्रदेश पहला राज्य था जिसने नियमों को प्रकाशित किया। हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र ने भी अपने पेसा नियम प्रकाशित किए हैं।
पेसा एक्ट देश के कितने राज्यों में लागू ?
पेसा एक्ट लागू हो जाने से आदिवासी क्षेत्रों की ग्राम सभा अब बहुत अधिक शक्तिशाली हो गई है।इसके साथ ही मध्यप्रदेश यह कानून लागू करने वाला देश का दसवाँ राज्य बन चुका है। इससे पहले तक देश के 9 राज्यों हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र , छत्तीसगढ़ ,झारखंड, और ओडिशा ने ही अपने पेसा कानून बनाए हैं। परियोजनाओं के कारण बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण और विस्थापन के कारण अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों में बड़े पैमाने पर संकट पैदा हो गया था। पेसा इन कमजोरियों में से कई के लिए एक रामबाण के रूप में लागू हुआ है जो विकास के एक नए प्रतिमान को पेश कर रहा है।
FAQs
Q.1 पेसा एक्ट कितने राज्यों में लागू है?
Ans:- वर्तमान में देश के दस राज्यों में पेसा अधिनियम के कानून लागू है। हालही में मध्यप्रदेश पेसा अधिनियम के कानून लागू करने वाला देश का दसवा राज्य बना है। इससे पहले तक यह 9 राज्यों हिमाचल प्रदेश, गुजरात , राजस्थान, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, झारखंड, छत्तीसगढ़, और ओडिशा में ही पेसा अधिनियम के कानून लागू थे।
Q.2. पेसा एक्ट 1996 का फुलफोर्म क्या है ?
Ans:- पंचायत उपबंध(अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार)अधिनियम 1996.
Panchayat(Extension to Scheduled Areas)Act 1996.
Q.3. मध्यप्रदेश में पेसा एक्ट 1996 कब से लागू हुआ है ?
Ans:- 15 नवम्बर 2022 से मध्यप्रदेश में पेसा एक्ट के कानून लागू कर दिये गए है।
Q.4. पेसा एक्ट के क्या उद्देश्य है ?
Ans:- स्थानीय अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगो की ग्रामसभा को अधिकार देना।जिससे कि उन्हें विभिन्न स्थानीय मामलो में हस्तक्षेप कर उन मामलों को सुलझाने व उनका निराकरण करने में सहायता हो सके।