कहानी का शीर्षक :- बंदर और चिड़िया
बंदर और चिड़िया की कहानी
एक बार की बात है एक जंगल में बुलबुल नाम की चिड़िया रहती थीं, ठंड का मौसमआने वाला था सभी जानवर उससे बचने के लिए तैयारी करने लगे।
बुलबुल ने भी एक शानदार घोसला बनाया और आने वाली बारिश से बचने के लिए उसे चारो तरफ से घास से ढक दिया।और
एक दिन अचानक बहुत घनघोर वर्षा शुरू हो गई जिससे बचने के लिए सभी जानवर इधर उधर भागने लगे, बुलबुल आराम से अपने घोसले में बैठ गई।
तभी एक बंदर खुद को बचाने के लिए उस पेड़ के नीचे आ पहुंचा।
बंदर की हालत देख बुलबुल ने कहा- तुम इतने होशियार बने फिरते हो फिर भी बारिश से बचने के लिए घर नहीं बनाया।
ये सुनकर बंदर को बहुत गुस्सा आया पर वह चुप रहा।
बुलबुल फिर बोली पूरी गर्मी आलस में बिता दी अच्छा होता अपने लिए घर बना लेते।
बंदर ने अपने गुस्से को काबू किया और चुप रहा।
वर्षा रुकने का नाम नहीं ले रही थी और हवाएं और तेज हो रहीं थी, बेचारा बंदर ठंड से कापने लगा, पर बुलबुल ने तो मानो कसम खा रखी थी उसे छेड़ने की।
बह फिर बोली तुमने थोड़ी अक्ल दिखाई होती तो इस हालत…
बुलबुल ने अपनी बात खतम भी नहीं की थी के बंदर पेड़ पर चढ़ गया और बोला- भले मुझे अपना घर बनाना नहीं आता पर तोड़ना अच्छे से आता है।
ये कहते हुए बंदर से बुलबुल चिड़िया का घोसला
तहस नहस कर दिया।
अब बंदर की तरह बुलबुल भी बे घर हो गई।
कहानी की सीख :-
दोस्तो कभी किसी मूर्ख को ज्ञान न दे ,नही तो आपको ही उस ज्ञान के बदले विपत्ति का सामना कर पड़ सकता है । ज्ञान भी उन्हें ही दे जिन्हें उसकी कीमत का अंदाजा हो और जो बात को समझ सके ।
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Short Story In Hindi