(1) पहली कहानी:- मुर्गे की अकल ठिकाने
एक समय की बात है , एक गांव में ढेर सारे मुर्गे रहते थे।
गांव के बच्चे ने किसी एक मुर्गे को तंग कर दिया था। मुर्गा परेशान हो गया , उसने सोचा अगले दिन सुबह मैं आवाज नहीं करूंगा। सब सोते रहेंगे तब मेरी अहमियत सबको समझ में आएगी , और मुझे तंग नहीं करेंगे। मुर्गा अगली सुबह कुछ नहीं बोला।
सभी लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम में लग गए इस पर मुर्गे को समझ में आ गया कि किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता। सबका काम चलता रहता है।
नैतिक शिक्षा : -
घमंड नहीं करना चाहिए। आपकी अहमियत लोगो को बिना बताये पता चल जाती है।
Moral of this short hindi story – Never be too arrogant. Your work should tell your importance to the world.
यह भी पढ़े >> बिना विचारे जो करे,सो पाछे पछताय
(2) दूसरी कहानी :- संयम एवं जिम्मेदारी
मशहूर वाहन कम्पनी फोर्ड के मालिक हेनरी फोर्ड को अपनी कार के लिए एक ड्राइवर की आवश्यकता थी। तीन ड्राईवरों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। सबसे उनकी विशेषता पूछी गयी। पहले व्यक्ति ने बताया कि वह भीड़ में भी सौ मील की रफ्तार से गाड़ी चला सकता है। दूसरे ने बताया कि वह छह फुट के गड्ढ़ों को भी आसानी से पार कर सकता है।
जबकि तीसरे व्यक्ति ने उत्तर दिया, “मैं चालीस से साठ मील की रफ्तार से ही गाड़ी चलाता हूँ। क्योंकि मैं स्वयं अपनी एवं अपने मालिक की जान को खतरे में नहीं डालता।” शायद यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि तीसरे व्यक्ति को ही चुना गया। क्योंकि संयम एवं जिम्मेदारी पूर्ण व्यवहार भी एक बड़ी विशेषता है।
नैतिक शिक्षा :-
हर जगह हमें व्यवहार में संयम एवं जिम्मेदारी रखनी चाहिए।
Moral of this short hindi story: – Everywhere we should exercise restraint and responsibility.
यह भी पढ़े >> असली सुदंरता: प्रेरणादायक कहानी
(3) तीसरी कहानी :- आप से बढकर कुछ नही
एक बार कि बात है- एक आदमी कही से गुज़र रहा था,तभी उसने सड़क के किनारे बंधे हाथियों को देखा के उनके अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई हैं।
उसे इस बात का बड़ा आश्चर्य हुआ के हाथी जैसे ताक़तवर जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं।
उसने पास खड़े एक किसान से पूछा,
के भला ये हाथी किस तरह इतनी शांति से खड़े हैं और भागने की कोसिस क्यो नहीं कर रहे?
किसान बोला- इन हाथियों को छोटे पन से ही ये रस्सियों से बांधा जाता है, उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती हैं के इस बंधन को वो तोड़ सके।
बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी न तोड़ पाने की वजह से उन्हें धीरे-धीरे ये यक़ीन हो जाता हैं के वो इन रस्सियों को नहीं तोड़ सकते, और बड़े होने पर भी इनका ये यकीन बना रहता है! इसलिए वो कभी इन्हें तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते।
वह आदमी आश्चर्य में पड़ गया, के ये जानवर इसलिए रस्सी नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो इस बात पर यकीन करते हैं, के वो ऐसा नहीं कर सकते।
इन हाथियों की तरह ही हम में से कई लोग पहली बार मिली असफलता के कारण ये मान बैठते हैं के अब हमसे ये काम नहीं हो सकता। और अपनी ही बनाई हुई मानसिक जंजीरों में बंधे हुए पूरा जीवन गुज़ार देते हैं।
नैतिक शिक्षा :-
याद रखे असफलता ज़िन्दगी का एक हिस्सा है। और बार-बार कोसिस करने से ही सफलता मिलती हैं। अगर आप भी ऐसे किसी बधन से बंधे है, जो आपको-आपके सपने सच करने से रोक रहा है, तो उससे तोड़ दीजिए