हर हाल में खुश रहे - प्रेरक प्रसंग इन हिंदी | Inspirational Short Story In Hindi with Moral 2023.

🌼हर हाल में खुश रहे -   प्रेरक प्रसंग🌼



एक आदमी एक दुकान में नौकरी किया करता था. वह मेहनती थी. काम के प्रति उसकी मेहनत और लगन देखकर उसका सेठ बड़ा ख़ुश रहता था. वह आदमी भी उस दुकान की नौकरी से संतुष्ट था.

एक दिन वह बिना बताये छुट्टी पर चला गया. सेठ उस दिन सोच में पड़ गया क्योंकि ऐसा पहले कभी हुआ नहीं था. वह सोचने लगा कि ऐसी क्या बात हो गई कि ये छुट्टी पर चला गया और मुझे बताया तक नहीं. कहीं उसे पैसों की तंगी तो नहीं हो गई होगी. यह विचार दिमाग में आते ही सेठ ने उसकी पगार बढ़ा देने का निर्णय ले लिया.

अगले दिन वह आदमी वापस काम पर आ गया. सेठ ने उसे अपने पास बुलाया और उसे बताया कि मैंने तुम्हारा वेतन बढ़ा दिया है. अगले महिने की पहली तारीख को उस आदमी को बढ़ी हुई पगार मिली.

उसने पगार ली, लकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. न उसने सेठ को धन्यवाद दिया, न ही वह बहुत ख़ुश हुआ. बस रोज़ की तरह काम करता रहा. पगार बढ़ा देने के बाद सेठ निश्चिंत था कि अब वह आदमी और मेहनत से काम करेगा. कुछ दिनों में यह बात आई-गई हो गई.

कुछ महीनों के बाद वह आदमी एक बार फिर से बिना बताये छुट्टी पर चला गया. इस बार सेठ को बहुत गुस्सा आया कि ये कैसा लापरवाह आदमी है? एक तो मैंने इसकी पगार बढ़ा दी. उसके बाद भी इसे जिम्मेदारी का अहसास नहीं है. फिर से बिना मुझे बताये इसने छुट्टी मार ली. 

अगले दिन वह आदमी काम पर आ गया. सेठ ने पहले ही तय कर लिया था कि अब वह उसकी पगार घटा देगा. उसने उसे बुलाकर बता दिया कि अगले महिने से उसे वही पगार मिलेगी, जो उसे पहले मिलती थी.

अगले महिने उस आदमी को घटी हुई पगार मिली. लेकिन इस बार भी उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. वह दु:खी नहीं हुआ. बस अपने काम में लगा रहा.

यह देख सेठ हैरान हो गया. उसने उसे बुलाकर पूछा, “क्या बात है? जब मैंने तुम्हारी पगार बढ़ा दी, तब तुम खुश नहीं हुए और अब जब मैंने तुम्हारी पगार घटा दी, तब तुम दु:खी भी नहीं हुए. आखिर बात क्या है?”

आदमी बोला. “सेठजी! जब मैं पहली बार काम पर नहीं आया था. उस दिन मेरे बेटे का जन्म हुआ था. उस समय जब आपने मेरी पगार बढ़ाई, तो मैंने सोचा कि जो अतिरिक्त पैसा मुझे मिला है, वो उस बच्चे के हिस्से का है. इसलिए मैं ज्यादा खुश नहीं हुआ. जब मैंने दूसरी बार काम पर नहीं आया, तब मेरी माँ का देहांत हो गया था. उस समय जब आपने मेरी पगार घटा दी, तो मैंने सोचा कि मेरी माँ अपना हिस्सा लेकर चली गई है. इसलिए पैसे घटने पर मैं दु:खी और परेशान नहीं हुआ.

यह बात सुनकर सेठ बहुत ख़ुश हुआ और उसने उस आदमी को गले से लगा लिया.

नैतिक शिक्षा :-

                        जिंदगी कभी एक सी नहीं रहती. उतार-चढ़ाव तो जिंदगी का हिस्सा है. जब तक जिंदगी है, अच्छा वक़्त भी आयेगा और बुरा वक़्त भी. इसलिए वक़्त चाहे जैसा भी हो, उसे पार कर लें. जिंदगी के दबाव में आना बंद कर हर हाल में ख़ुश रहना सीखें.


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