इकत्तीस का महीना- प्रेरक कहानी इन हिंदी|Life Lession Inspirational Short Story In Hindi with Moral 2023.

🌼इकत्तीस का महीना -  प्रेरक कहानी🌼


इकत्तीस का महीना


वह सुबह से ही मंदिर के अहाते में आकर बड़ी देर से बेहद उदास होकर बैठी थी ।लगता था कि वह भूखी भी है ।पुजारी जी ने उसे देखते ही पूछा- "माई,लगता है आज इकतीख तारीख है ।" "हाँ,पंडित जी ।" "तो तू,उदास क्यों होती है,आज का दिन यहीं गुज़ार,और यहीं खाना खा ।"

इतना सुनते ही वह अतीत में पहुँच गई। पति के निधन के बाद मेहनत-मजदूरी करके उस औरत ने अपने दोनों बेटों को पाल-पोसकर, पढ़ा-लिखाकर इस क़ाबिल बनाया था,कि वे दोनों सरकारी नौकरी में और एक अच्छी पत्नी को पा सकें ।पर शादी के बाद दोनों भाइयों में नहीं बनी तो उन्होंने घर-मकान का बंटवारा कर लिया, पर कोई भी बेटा माँ की पूरी ज़िम्मेदारी लेने को तैयार नहीं था।

अंत में लाचार होकर दोनों भाइयों ने पंद्रह-पंद्रह दिन के लिए माँ की जिम्मेदारी ले ली ।पर विडंबना कि जब महीना इकत्तीस दिन का होता था तो माँ को एक दिन मंदिर में जाकर गुज़ारा करना पड़ता था । "माई ,कहाँ खो गई?ये भोग तो खा,और आराम कर ।" पुजारी की आवाज़ सुनते ही वह वर्तमान में लौट आई ,और आँसू पौंछकर भोग लेकर खाने लगी।

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